“कभी कभी ऐसा होता है….
“कभी कभी ऐसा होता है….
की सब जानते हुए भी ,
क्रिया की प्रतिक्रिया का अहसास होते हुए भी ,
परिणाम पहचानते हुए भी ,
हम स्वीकार नहीं करते वर्तमान को ,
कोशिश करते भविष्य बदलने की l
क्योंकि
भीतर का मन बड़ा बेवक़ूफ़ है ,
जैसा कहोगे ,
जैसा समझाओगे,
मान जाएगा l”
नीरज कुमार सोनी
“जय श्री महाकाल”