कभी इश्क ना करना
तेरे ही ख्यालों में तेरा ये दीवाना
जाने क्यों खोया खोया सा रहता है
कभी तेरे उलझे हुए जज्बातों में
कभी तेरी यादों में सोया सोया सा रहता है
तू ही बता क्या इलाज करूं दिल का
सुबह हो या शाम बस तेरा ही नाम लेता है
तेरे इश्क में इस कदर डूबा रहता है
हर रात मधुशाला में भर भर जाम लेता है
फुर्सत मिले तो कभी इधर चले आना
कुछ बात है आज तुझसे कहना चाहता हूं
हो सके तो आंखों में मधुशाला भी लाना
इसकी मतवाली लहरों में बहना चाहता हूं
इश्क मोहब्बत की बात हमसे न करना
इसकी आग में हमने अपने हाथ जलाए हैं
हमने भी दिल दिया था कभी बेवफा को
हमारे आंसुओं से जिसने अपने घर सजाए हैं
अपने अरमानों का जनाजा हमने देखा है
बस अपना जनाजा देखना मानो अब बाकी है
मोहब्बत की आग में कई घर जलते देखे हैं
बस अब अपना आशियाना जलते देखना बाकी है