कभी इनकार की बातें, कभी इकरार की बातें।
गज़ल
कभी इनकार की बातें, कभी इकरार की बातें।
करो जानम कभी तो प्यार, औ’र मनुहार की बातें।
वो उनका रूठ जाना, मान जाना और तरसाना,
मुझे सब याद आती हैं, मेरे दिलदार की बातें।
गरीबी भुखमरी बेरोजगारी, और महगाई,
नहीं होतीं हैँ अब इन पर, कभी सरकार की बातें।
अमन औ’र चैन सबको चाहिए, तो प्यार बांटो बस,
नहीं दुनियां के हित में युद्ध, औ’र संहार की बातें।
अगर करना है तो बातें करो, तुम प्यार की जानम।
मुझे अच्छी नहीं लगती हैं, जाना खार की बातें।
उन्हीं के चर्चे होते हैं, जो होते देश पर कुर्बा’न,
नहीं करता जमाने में, कोई गद्दार की बातें।
जो प्रेमी हैं उन्हें भाती हैं, बातें प्रेम रस डूबी,
वो भूले से नहीं करते, कभी तकरार की बातें।
…….✍️ प्रेमी