कब हो गई सहर और रात गुज़र गई
देखा है जब से आपको नजर ठहर गई
कब हो गई सहर और रात गुज़र गई
निभाई है बेवफ़ाई तुमने जाने जां
तुम क्या जानो जिंदगी मेरी ठहर गई
यादों के भँवर में मै उलझ कर रह गई
जब से गए हो सनम तुम मै बिखर गई
रखा जो हाथ माँ ने सर पर मिरे यार
खुशियों से आज मेरी झोली भर गई
बाहों में कँवल तेरी इस कदर खो गयी
पलकें भी ना उठी और जिंदगी गुज़र गई
गिरहबंद —
उलफ़त ए मुहब्बत में बेसुध हम हो गए
मौजे नसीम थी इधर आयी उधर गई
बबीता अग्रवाल #कँवल
नसीम – ठंडी हवा