कब सीखोगे
कब सीखोगे? रचनाकार- संजय नारायण
कब तक रहोगे यूँ ही अनाड़ी
तुम होशियारी कब सीखोगे?
नए दौर की इस दुनियां की
दुनियादारी कब सीखोगे?
मेरी हिफाज़त में रखा था
माल सलामत सब निकला
दुनियां ताना मार रही है
पहरेदारी कब सीखोगे?
ये मेरे हिस्से की रोटी
वो तेरे हिस्से का कपड़ा
दुनियाँ के हिस्से के ग़म में
हिस्सेदारी कब सीखोगे?
दोहरे चेहरे लोग लगाकर
नज़रों से ज़िगरों में उतरे
अलग थलग तुम सच के साथी
तुम अय्यारी कब सीखोगे?
संजय नारायण