— कब समझेगा मानव —
दुनिया में न जाने कितने सूरमा आये
आये यहाँ और खूब नाम भी कमाए
पर दुनिया से जाते जाते बता गए
सब खाली आये और खाली ही जाये !!
किसी को केंसर, किसी का गुर्दा लाचार
कोई लीवर से और कोई दिल से लाचार
कोई ब्रेन से फेल ,किसी की आंत फेल
फिर भी पैसे का नही कोई तालमेल !!
जब साँसों का रिचार्ज नही है यहाँ
क्यूं ठोकरे खाता है यहाँ और वहां
पैसा भी किसी हद तक देता साथ
मत घबरा खाली हाथ ही जाना है वहां !!
किये थे जो पूर्व में कर्म हम सब ने
उस का भुगतान रह गया था बाकी
अब सोच समझ की शक्ति दी है रब ने
फिर क्यूं गलत काम अब करता यहाँ !!
पैसे का थैला लेकर बेशक बैठे रहो
नहीं काम आएगा कोई डाक्टर -हकीम
निवां होकर चल ओये बन्दे यहाँ पर
उस रब ने ही संवारने हैं सब काम !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ