“कब मानव कवि बन जाता हैं ”
“कब मानव कवि बन जाता हैं ”
कबमानव कवि बन जाता है
जब उसको संसार रुलाता है
सपनों के समीप वह जाता है
जब वह भी ठुकरा देते
तब वह निज मन के सम्मुख आता हैं
पर उसकी दुर्बलता पर जब
मन भी मुस्काता है
तब मानो कवि बन जाता है
“कब मानव कवि बन जाता हैं ”
कबमानव कवि बन जाता है
जब उसको संसार रुलाता है
सपनों के समीप वह जाता है
जब वह भी ठुकरा देते
तब वह निज मन के सम्मुख आता हैं
पर उसकी दुर्बलता पर जब
मन भी मुस्काता है
तब मानो कवि बन जाता है