कब तक
और कब तक?
साथ रहोगी या दोगी साथ मेरा,
मैं इक मीठा छलावा बन,
ठगता रहा हूँ तुझे सदा,
मैंने फूल दिए,
तुमने बग़ीचा सजा दिया,
दिया गर इक बीज तुम्हें,
तुमने पेड़ बना दिया,
दिया तुम्हें महज़ मकाँ,
तुमने ईंट पत्थर को घर बना दिया,
हर चीज़ को सज्जा-सँवार कर वापिस,
किया है तुमने,
मेरी शारीरिक वासना को भी,
तुमने प्रेम बना दिया,
स्वार्थरहित तुम और स्वार्थी मैं,
बोलो स्त्री ,
कब तक साथ रहोगी या दोगी साथ मेरा…