कब तक लड़ते-झगड़ते रहेंगे हम…
कब तक लड़ते-झगड़ते रहेंगे हम…
कब अमन-चैन से जी सकेंगे हम…
मिलेंगे कब जीवन में सुकून के क्षण?
ज़िंदगी जीने का असली मज़ा होगा तब,
जब जाति-धर्म के भेदभाव ऊपर उठकर
सिर्फ़ हिंदुस्तानी ही कहला पाएंगे हम!!
…. अजित कर्ण ✍️