— कब तक भुगतेगा प्राणी —
इस सच को नकारा नही जा सकता …नही सोचा किसी नेता ने भी, कि देश डूब रहा है, जो जलसे, रैलियां न की जाएँ..सत्ता के भूखे सदा सत्ता की भूख में ही जियेंगे, भला ही देश में लाशों के ढेर लग जाए..पहले हम ने बहुत सारे सैनिक खोये तो दुःख होता था..किसी का बेटा , किसी का पति शहीद हो जाता था..अब इस लीला ने घर घर के चिराग बुझा दिए..नही जाता किसी भी नेता का कुछ भी..उन को केवल मन की बात कहनी आती है, जुबान पर कुछ और अंदर कुछ भरा होता है..दिल रोने लगा , अब इतने बुरे हालात देख कर,,,शर्म आने लगे है, अपने देश के अंदर रहते हुए अपाहिज हो गया सब कुछ..लोगों की साँसे इतनी सस्ती कर दी इन सत्तधरिओन ने…नही सहा जाएगा , जो कुछ देखने से चीखे निकल रही हैं…कब रूकेगा यह जलजला…कब शान्ति होगी शमशान में, कब्रिस्तान में…दुःख के भाव, आंसू , कब थामेंगे, कब होगी शान्ति, किस की बुरी नजर का परिणाम आम जनता भुगत रही है.., जिस ने भी यह गंदगी फैलाई, लोगों को मरने तक को विवश किया…उन सब की आत्मा उस नेता को, उस गन्दी योनी के प्राणी को कभी जन्म जन्म तक माफ़ नही करेगी…बार बार जन्म लेगा वो, बार बार अपने पर किये अत्याचार, का बदला जरुर् लेने के लिए नया जन्म लेगा, और बदल लेता रहेगा, उस को तब ही शान्ति मिलेगी…
अजीत कुमार तलवार
मेरठ