कब तक देखे भारत , शहीदो के क्षत विक्षत शव
कब तक देखे भारत
शहीदो के क्षत विक्षत शव
गीदड़ हृदयी पीश्शू पाकिस्तान
क्या भूल गया है
करगिल का वो विजय दिवस
शत्रु रक्त से अब भी
अमार्जित करवीरो को हमने रखा है
फाड़ कर छाती पाकहंता हम
शौर्य को हमने चखा है
नख दंत है सबकुछ सिंह यहां, हिंद पराक्रम कब तू पहचानेगा
अबकी ना माना तो यर्थाथ कहता हूँ वजूद गवां कर मानेगा
विनती है
हे भारत के नृप
हिंद वाहिनी अब बोलो कब तक धैर्य धरे
कहो अब वीरो से,
रण मे काल बन बरसो
कि
विजयीरथी भारत आनन्द रहे
प्रतिशोध को अपने परिणाम मे ढालो
कि
जन मन कण सानन्द रहे
शत्रु सम्मुख छवि यमराज बन उतरो
कि
ऐसा युद्धक विध्वंस करो
बन कर स्वयं महाकाल के सेवक
पूर्जा पूर्जा आयूध भरो
विजय उदघोष ही हो अंतिम लक्ष्य
पुरूषार्थ का पर्याय बनो
कूकर्मी वो जो लांघ घाटी इधर आए थे
ठीक वही उन नरमुंडो से
भारत का अलंकार करो
कहो वीरो से
बहुत हूई बर्दाशत की बेला
की
सिंधु पार भारत विस्तार करो
सदानन्द