कब तक चुप रहूंगी
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फिल्म – कब तक चुप रहूंगी। स्क्रिप्ट – रौशन राय का
मोबाइल नं – 9515651283 /7859042461 तारीक – 10 -12 – 2021
सुबह हुआ चिड़िया चहचहाने लगी पुरब से सुरज अपना सुनेहरे रंग संसार को परोसने लगें रात को कर रहे आराम चारों दिशाओं में हलचल होने लगी
एक आलीशान बंगले और करोड़ों की सम्पत्ति का मालिक डोंगरा साहब की इकलौती बेटी राधा आज सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर तैयार हो गई तब तक सुबह के साढ़े आठ बज गए। राधा को चहल-पहल करती देख उनका पापा बोले
पापा – क्या बात है आज मेरी प्यारी प्यारी गुड़िया में कुछ अलग एनर्जी दिख रहा है।
राधा – हां पापा आज हमारे काॅलेज में डांस प्रतियोगिता का डेट तय होगा । इसलिए हमारे प्रिंसिपल साहब सब बच्चों को समय पर काॅलेज पहुंच जाने के लिए कहें थे।
पापा – इसका मतलब ये की आप सब बच्चें समय पर काॅलेज नहीं पहुंचते हैं। (पापा के बातों में शरारत था प्यार था अपने बेटी के प्रति)
राधा – नहीं पापा बात ऐसी नहीं है वो दस मिनट पहले ही सारे बच्चों को डांस प्रतियोगिता के बारे में समझा कर और क्लास शुरू करेंगे, जिससे हमें प्रतियोगिता के बारे में भी जानकारी मिल जाए और विषय क्लास भी न छुटे । हमारे प्रिंसिपल साहब के वजह से हमारे काॅलेज हर साल टाॅप श्रेणी में रहता है । समझें मेरे प्यारे प्यारे पापा जी
पापा – हां मैं समझ गया मेरी गुड़िया
राधा – तों मैं जाऊं
पापा – यस माय डार्लिंग डाॅटर पर बेटा तुम पैदल जा रही हों या अपने कार से
राधा – पापा कार से
पापा – ओ के
राधा – पापा ड्राइवर आया है तो आप उसे फोन कर दिजिए की वो बी एम डब्ल्यू कार को पार्किंग से बाहर निकाल कर सामने रखें क्योंकि मैं थोड़ा जल्दी में हूं हमारे सारे दोस्त मेरा वेट कर रहा होगा
पापा – ओ के बेटा ड्राइवर को फोन लगा कर डोंगरा साहब बोले ड्राइवर साहब गाड़ी को सामने लाइए पार्किंग से नहीं तों आपके साथ मेरा भी आज कल्याण हैं।
ड्राइवर – ओ के सर
राधा – क्या पापा आप हमेशा मुझे
पापा – नहीं बेटा मैं तों तुम्हें जान से ज्यादा प्यार करता हूं तेरे सिवा मेरा कौन है
राधा – तो मैं जाऊं पापा
पापा – हां बेटा जाओ
राधा – थैंक्स पापा बाय
पापा – बाय बेटा
राधा अपने पापा से आज्ञा लेकर निकलती हैं और ड्राइवर को कहती है
राधा – ड्राइवर साहब कार को सिधा काॅलेज के लाईब्रेरी के पास ले चलिए जहां उनकी सारे दोस्त उनका इंतजार कर रही थी राधा के पहुंचते सबने कहा
वाऊ क्या लग रही है तु राधा आज तो फिर काॅलेज में लफड़ा जरुर करवाएंगी तुम्हें देख कर तों हम लड़कियां ये सोचते हैं की कुछ पल के लिए अगर भगवान हमको लड़का बना दें तो बिना तुम्हें छेड़ें मैं रह नहीं पाते
तो बेचारे लड़कों पर क्या गुजरता होगा मैं समझ सकती हूं क्यों लड़कियों। तो सबने कहा हां हां तुम ठीक कह रही हों
राधा – चल झुठी मेरी तू झुठी तारिफ न कर और सिधा डांस सब्जेक्ट पर आ
तो एक कहती हैं की राधा इस बार हम किस तरह से तैयारी करें की इस बार भी हम और हमारी लड़कियों का ही टीम जिते
दुसरी कहती है पिछले साल का हारा लड़के सब तों इस बार एक महिने पहले से ही अभ्यास कर रहा है
तिसरी कहती है लगता है इस बार लड़के बाजी मार जाएगा
चौथी कहती है की जब हम अपने काॅलेज में लड़कों से जितेंगे तभी सर्व काॅलेज प्रतियोगिता में हमारा टीम जाएगा
राधा सबकी बात सुनी और बोली देखो हम लड़कों से इस बार तभी जीत सकते हैं जब हम सब एक दूसरे को समझेंगे और नियम अनुसार काम करेंगे तभी ये संभव है क्योंकि लड़के टीम का भी प्रफ़ोमेस दुसरे काॅलेज से बहुत अच्छा रहता है और हम लोगों के बराबरी का
तो सब कसम खाओ की हम अपने सिनियर का बात और नियम अनुसार चलेंगे तो जीत तुम्हारा क़दम चुमेगा
सारे लड़कियां एक साथ कसम खाती है
सारे काॅलेज के लड़कियां राधा के सुंदरता को देखकर जल भून जाती है तो लड़कों के बारे में क्या कहे
सारे लड़के राधा के सुंदरता का जाम पी ना जाने क्या क्या
बोलने लगता पर राधा किसी को घास तक नहीं डालती
सारे बच्चे प्रिंसिपल साहब के कहें अनुसार क्लास में पहुंच कर पहले तो प्रतियोगिता के बारे में समझा
प्रिंसिपल साहब – हमारे काॅलेज के होनहार बच्चों हमें तुम सब पर गर्व है की तुम सबने कठिन मेहनत कर के पढ़ाई से लेकर खेल तक में अपने काॅलेज का नाम रौशन किया इसलिए हमें तुम सब पर गुमान है न हमारे लड़के कमजोर है और ना ही लड़कियां पर किसी भी खेल में दो पक्ष होता हैं जिसमें एक की हार और एक की जीत होता है परन्तु ये देखा जाता है की हार उसको किस रुप में मिला। हारने वाले टीम जितते जितते हारा है या फिर बुरी तरह से हार गया ये बहुत मायने रखती है इसलिए इस बार भी मैं अपने काॅलेज के बच्चों से ये उम्मीद रखता हूं की तुम सब इस बार भी सर्व काॅलेज प्रतियोगिता में मेरा सर झुकने नहीं दोगे क्या इस बार भी मैं ये उम्मीद लगा सकता हूं
सारे बच्चे एक स्वर में कहा यस सर आप अपने बच्चों से ये उम्मीद ऐ सकते हैं और हम आपको वचन देते हैं की जब तक मैं आपके छत्र छाया में रहूंगा तब तक आप को मुंह की नही खानी पड़ सकती है
प्रिंसिपल साहब – भगवान तुम सब बच्चों को अपने मन की सद भावना को पुरी करें और मन में सदा देश प्रेम की जोत जलाए रखें और अंत में मैं एक्कतीस दिसम्बर को प्रतियोगिता का तारीक तय किया गया है इसलिए तुम सब मन से तैयारी में लग जाओ इस बार सर्व काॅलेज प्रतियोगिता अपने ही काॅलेज पर फैलन होगा और तुम सब तो अनुशासन में रहते ही हो पर दुसर काॅलेज से आए सभी छात्र छात्राओं और प्रिंसिपल मास्टर का स्वागत में कोई कमी नहीं होगी ये हमें तुम सब से उम्मीद है जय हिन्द जय भारत कहके प्रिंसिपल साहब चले गए और क्लास टीचर आए पढाए और छुट्टी हो गया सब बच्चों अपने अपने घर घर जाकर या फिर समय निकाल कर सब इकट्ठे होकर अभ्यास किया और
आज एक्कतीस दिसम्बर हैं आज राधा के काॅलेज में प्रतियोगिता का फाइनल मुकाबला होना है सब बच्चों अपने अपने तैयारी से अपना कमर कस रखा है सारे काॅलेज लाल हरा पीला ब्लू रंग के बल्बों से सजे चका चक कर रहा है सारे काॅलेज में चहल-पहल हैं दुसरे दुसरे काॅलेज से प्रिंसिपल और उनके बच्चों आने लगें लगभग पन्द्रह काॅलेज के बच्चों और उनके प्रिंसिपल साहब आए जिससे राधा काॅलेज का ग्राउंड खचाखच भर गया अब प्रतियोगिता शुरू होने का एलाॅन्समेट हो गया सबने अपने अभ्यास के अनुसार अपना अपना कलाकारी अदा किया और अब अंतिम में राधा अपने टीम के साथ स्टेज पर आई और सभी दर्शकों को प्रणाम की म्यूजिक स्टार्ट हुआ और ये गीत ……….गाते हुए राधा अपने प्रस्तुती समाप्त किया सारे दर्शकों को आये हुई दुसरे दुसरे काॅलेज से प्रिंसिपलों को राधा की टीम झुमा दिया ताली सिटी की आवाज से दशों दिशा गुजने लगा सारे प्रिंसिपल इक्कठा हुए और जीत मैडल और सील राधा और उनके टीम को दिया गया।
इस जीत के बाद तो जैसे राधा के आशिकों का बाढ़ आ गया लगभग सारे काॅलेज के लड़के ये चाह रहा था की राधा हमारी गर्ल फ्रेंड बने पर राधा किसी को भी भाव नही देती थी क्योंकि उनके मन लाईक कोई नहीं था राधा तों हसिनाओं का एक केन्द्र थी नाच गान पढ़ाई लिखाई सुंदरता सब कुछ में वो सब लड़कियों से उपर थी वो किसी भी लड़के के ओर देखती तक नहीं थी
प्रतियोगिता खत्म और उपहार लेते राधा अपने सहेलियों के साथ उस दिन अपने घर चले गई।
और अपने पापा को अपने और अपने टीम के जीत के बारे बताई पापा ने उन्हें शुभकामनाएं दी
दुसरे दिन राधा समय पर काॅलेज पहुंची तो राॅकी नाम का लड़के और उसके कुछ आवारा दोस्त राधा का रास्ता रोका और कहा
राॅकी का दोस्त जीतू – राॅकी देख राधा डार्लिंग आई है
राॅकी – जीतू को एक फाइट मारा और कहा जीतू देख राधा सिर्फ और सिर्फ मेरी डार्लिंग हैं । क्यों राधा डार्लिंग मैं ने ठीक कहा न और राधा का हाथ पकड़ लिया।
की राधा झटके में हाथ छुड़ाई और एक जोरदार थप्पड़ राॅकी के गाल पर जड़ दी और बोली
राधा राॅकी से अपने हद की दायरे में रह नही तो तुम जैसे आवारा कुत्तों को ठीक करना मुझे अच्छी तरह आता है समझ गया यु वल्डी और चल दी
इस पर राॅकी ने राधा से कहा राधा अगर मैं इस थप्पड़ का बदला ब्याज समेत जोड़ कर नहीं लिया तो मेरा नाम राॉकी नहीं।
इस फिर राधा मुड़ कर राॅकी से कहती हैं इस बार तो सिर्फ एक थप्पड़ मारकर छोड़ दी। अगर दुसरी बार ऐसी नज़ाकत की तो हमारा सेण्डल ही तुम्हारे इस उल्लू जैसे चेहरे का खातेदारी करेंगी समझ गया मजनू के पोते
इस पर सारे लड़कियां जोड़ से हंसने लगी और राधा अपने बाल को बादलों की तरह उड़ाती हुई मुड़ी और क्लास में बड़े ही स्टाइल में प्रवेश की और जाकर प्रिंसिपल से राॅकी का शिकायत की
प्रिंसिपल ने सभी छात्र छात्राओं के समाने राॅकी को बहुत भला बुरा कह सुनाया और कहा अगर तुमने ऐसा दुवारा की तो तुम्हें दण्डित किया जाएगा और राॅकी को बेंच पर खड़ा होने को कहा। तो राॅकी जैसे ही बेंच पर खड़ा हुआ की सारे लड़के और लड़कियां अपना अपना मुंह दबाकर छुपाकर हंसने लगे।
फिर प्रिंसिपल साहब बोले मेरे प्यारे बच्चों अपने काॅलेज के पुनः जीत पर सरकार एक उपहार दिया है
तो सबने एक साथ पुछा सर वो उपहार क्या है तों
प्रिंसिपल साहब बोले की सरकार अपने खर्च पर हम लोगों को पिकनिक पर जाने को कहा है वो भी पन्द्रह दिन के लिए और राधा को एक बढ़ीयां सा स्कालरशिप मिलने वाली है पिकनिक से आने के बाद तों आप सब तैयार है पिकनिक पर जाने के लिए
तो एक लड़का खड़ा होकर कहा सर नेकी और पूछ-पूछ हां हम सब तैयार है पिकनिक पर जाने के लिए क्यों साथियों तो एक ही साथ सबने कहा हां हम पिकनिक पर जाने के लिए तैयार हैं।
प्रिंसिपल ओके बच्चों हम सब परसों चलेंगे सो आप सब अपने घर को जाओ और चलने की तैयारी करों सब बच्चों को छुट्टी दे दिये
रास्ते में सब लड़के लड़कियां राधा को बोली राधा ये सब तुम्हारे वजह से हुआ इसके लिए तुमको थैंक्स इतने में राॅकी आया और राधा को बोला मैं तुम से अपने अपमान का बदला जरुर लूंगा तुम्हें बता दुंगा की राॅकी क्या है। राधा कुछ नहीं बोली और उसकी सहेलियों ने कह दिया की तुम्हे हम पहचान लिए है की तुम क्या है और सारे हसन लगी
राधा बोली छोड़ो चलों इससे मुंह मत लगाओ ये बेशर्म हैं
सारे लड़के लड़कियां अपने अपने घर गई और पिकनिक पर जाने की बात अपने मां बाप से कही राधा भी अपने पापा डोंगरा साहब से बोली और डोंगरा साहब ने अपने बेटी राधा को इजाजत दे दी जाने के लिए और बोले
पापा – बेटी तुम पिकनिक पर जाना चाहती हों तो जाओ पर बेटा सम्भल कर रहना और अपने प्रिंसिपल और अन्य टीचर के कहें अनुसार ही कुछ करना क्यों की वो जगह सबके लिए अंजान होगा
राधा – पापा आप निश्चित रहिए आपको मेरा कोई शिकायत नहीं मिलेगा
पापा – गुड बेटा सब तैयारी हो गया है
राधा – हां पापा बस कुछ पैसे चाहिए
पापा – जाओ अलमारी से ले लों ये सब तुम्हारे ही तों हैं
राधा – पापा मैं अपने मर्जी से कभी ली हूं जो आज मैं लूंगी
पापा – ओके माई चाइल्ड और गए लाके दस हजार रुपए राधा को दें दिए
आज दस जनवरी हैं सब अपने अपने घर से बन ठन के काॅलेज ग्राउंड में इकट्ठा हों गए पर राधा अभी तक नहीं पहुंची
राधा अपने पापा से बात करने में थोड़ा लेट हो रही थी
राधा – पापा आप समय समय पर सब कुछ करेंगे दवाई खाना आराम और वाक
पापा – हां मेरी बेटी तुम निश्चिंत हो कर जा तुम्हारे कहें अनुसार मैं सब कुछ समय पर ही करुंगा
राधा – तों पापा मैं जाऊं
पापा – हां बेटा जाओ
राधा – तों पापा मैं जाऊं
पापा – हां बेटा जाओ
राधा – तों पापा मैं जाऊं
पापा – हां आहा मैं तो भुल ही गया की मेरी बेटी को पापा से एक मिठा मिठा पप्पी चाहिए और डोंगरा साहब अपने इकलौती बेटी को एक प्यारा सा पप्पी दिए और राधा अपने पापा का पैर छुकर प्रणाम की और बोली
राधा – बाय पापा
पापा – बाय बेटा
डोंगरा साहब ने अपने ड्राइवर से बोले की जाओ राधा को काॅलेज पर छोड़ दो ड्राइवर ने ऐसा ही क्या
काॅलेज के ग्राउंड में ड्राइवर ने गाड़ी रोकी और दरवाजा खोल कर जैसे ही राधा गाड़ी से बाहर निकली