कब आओगे ? ( खुदा को सदाएं देता एक गमगीन दिल …)
मेरी जिंदगी को भंवर से बचाने ए खुदा !
कब आओगे बनकर तुम मेरे नाखुदा ।
मै हूँ परेशान हाल और गमों से सरोबर ,
मेरी टूटी हुई कश्ती को किनारा दो दिखा ।
मेरा छलनी है सीना रफीकों से ,जी हाँ !
सिर्फ तुम्हें ही ये जख्म सकती हूँ दिखा।
मुझे मेरी ही तलाशों ने जीतेजी मार दिया ,
अब तुम्हीं मेरी मंज़िल को दो दिखा ।
हर सु अश्क बहाते बुझ गए चश्म चिराग ,
बुझती हुई शमा को एक झलक दो दिखा ।
अब क्या तुम मेरे डूबने के बाद आओगे ?
तुम कोई पत्थर तो नहीं हो न मेरे खुदा !