** कबूतर **
“कबूतर”
?️?️
अड़सठ , उनहत्तर , सत्तर ;
छत पर बैठा , एक कबूतर।
चुन रहा वह , अपना दाना;
यही है, उसका रोज खाना।
गुटर- गुटर इसकी आवाज,
पता है इसको,कई के राज।
जब निकले , सुबह प्रकाश;
तब ही निकले, ये आकाश।
यह है , एक सुंदर सा पक्षी;
मार देते इसे,कुछ सर्वभक्षी।
भरता ये, सदा ऊंची उड़ान;
बक्श दो, अब इसकी जान।
**********************
…✍️प्रांजल
…..कटिहार।