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1 Nov 2023 · 1 min read

कबूतर इस जमाने में कहां अब पाले जाते हैं

कबूतर इस जमाने में कहां अब पाले जाते हैं
नई नस्लों के बच्चे हैं यह मोबाइल चलाते हैं

कभी मस्जिद शिवालों का जिन्होंने मुंह नहीं देखा
वह सोशल मीडिया पर मज़हबी झंडे उठाते हैं

किसी भी काम को अंजाम तक पहुंचा नहीं पाए
ज़माने को बदलने का मगर बीड़ा उठाते हैं

कभी इंसानियत की जो हिफाज़त कर नहीं पाए
हमेशा फेसबुक पर वो सुदर्शन तक चलाते हैं

वतन के अम्न की अरशद सदा परवाह रहती है
वहीं कुछ लोग हमको मज़हबी घुटटी पिलाते हैं

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