कबीर की ललकार
वह नहीं है कोई दरबारी कवि
कि हो सके एक अख़बारी कवि…
(१)
उसके विद्रोही तेवर ने बनाया
उसे सूली का अधिकारी कवि…
(२)
मौजूदा दौर में दूसरा कौन है
उसके जैसा क्रांतिकारी कवि…
(३)
भक्ति में लीन महाकवियों पर
अकेला ही पड़ेगा भारी कवि…
(४)
कवि तो वही जो दो टूक बोले
बाकी सभी इश्तेहारी कवि…
(५)
भला कबीरा को क्या समझेंगे
ये कोरे शब्दों के व्यापारी कवि…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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