कबीर एवं तुलसीदास संतवाणी
1】परमेश्वर हैं भाव के भूखे छप्पन भोग वो जाने ना।
मानव बन बैठा हठधर्मी बात प्रभु की माने ना।।
————-*——-*——-*——*——-*——*
2】 मोह माया का बंधन ऐसा बुद्धिमान भी मूर्ख बनें।
छोटी मोटी बातों पर ही कई फरसा बंदूक तनें।।
————-*——-*——-*——*——-*——*
3】 मानव सेवा धर्म सनातन जीवन भर सत्कर्म करो।
बुरा कर्म आसान बहुत है, सत्य के पथ से नहीं डरो।।
————-*——-*——-*——*——-*——*
4】 बड़े बडा़ई करें नहीं और बड़े ना बोले उल्टे बोल
घर में हो सम्मान बड़ों का कभी ना खोलो घर की पोल
————-*——-*——-*——*——-*——*
5】 सज धज कर जिस दिन तेरे पास में मौत दीवानी आएगी
तेरी कमाई धन दौलत सब यही पड़ी रह जाएगी
————-*——-*——-*——*——-*——*
6】 काम क्रोध मध लोभ जगत में दुश्मन मानव जीवन के
झूठे लोभी और फरेबी भूखे देखे हैं धन के
————-*——-*——-*——*——-*——*
7】एक अकेला बाप कई बेटों का पेट पाल देता
तन मन धन न्यौंछावर कर दे बदले में कुछ ना लेता
————-*——-*——-*——*——-*——*
8】 बचपन गुजरा खेल कूद में देख जवानी हर्षाया
आया बुढ़ापा जीभर रोया काल ने आ मानव खाया
————-*——-*——-*——*——-*——*
9】 दस सिर वाला रावण भी आखिर मृत्यु से धराया
भक्त विभीषण धर्म के पथ पर श्री रघुवीर शरण पाया
————-*——-*——-*——*——-*——*
10】 आलस लाये सर्वनाश को ज्यादा नींद करे लाचार
मन के मते चलो ना कोई मन मरवा दे कई – कई बार
————-*——-*——-*——*——-*——*
लेखक:- खैम सिंह सैनी, ग्राम- गोविंदपुरा, वैर
मो. नं. :- 9266034599