कन्यादान
नही कर्ण भी समता रखता नही कर्ण का दान महान,
सब दानों से बढ़कर होता एक बेटी का कन्यादान!
पिछले कितने सुकर्मों से, बेटी पैदा होती है,
गृहस्थी के संचालन में जो धैर्य कभी न खोती है
बेटे किसी मोड़ पर धोखा , दे दे भला कौन क्या जाने
पर निश्चित बेटी आएगी मात पिता को गले लगाने
शुभ गुण मंदिर सुन्दर है, जिस घर में बेटी होती है
बेटी का जिस पर हाथ लगे,पत्थर बन जाये मोती है
नही कभी वह अपनी होती, उसके साथ परायापन हैं
आँख में आंसू, कटु विदाई, बेटी ऐसा तेरा जीवन है
वह कोई संतान नहीं है है ईश्वर का एक वरदान
सब दानों से बढ़कर होता एक बेटी का कन्यादान।
– नीरज चौहान