कद्र करो समय का
दिनांक 19/4/19
है जिन्दगी की दौड़
जीवन में हैं कई मौड़
मची है आपाधापी
हर और
इन्सान लगा है
पकडने समय को
आता नहीँ हाथ
वो कहीं और
पहचान लिया
समय का
महत्व जिसने
नहीं हारी
कोई बाजी उसने
फिसलता जाता है
समय मुट्ठी से
रेत की तरह
फिर भी करता
रहता है इन्तजार
वो समय का
अनजानों की तरह
पहचानी कीमत
जिसने समय की
नहीं किया बरवाद
जिसने समय को
जीवनपथ बढ़ा
सदा वो सदा
विजयी हो कर
क्षणिक है जीवन दोस्त
नहीं है भरोसा कल का
पा लो लक्ष्य जिन्दगी के
यह तो खेल है
समय के उलट फेर का
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल