!! कदम कदम पर धोखा !!
यह सच है, यहाँ, क्या हर जगह
कदम कदम पर धोखा मिलता है
लूटने को जमाना साथ देता है
और लूट कर अपनी राह हो लेता है
बहका देते हैं ऐसे , सपने दिखा देते हैं ऐसे
न मानते हुए भी सच समझ लेते हैं सारे
हर कदम यहाँ धोखा ही धोखा है
संभल कर भी चलो , पर मिलता धोखा है
इक बात समझ नहीं आती
क्या मिलता है ऐसा करने के बाद
इंसान को देखकर धोखा
क्या भगवान् की नजरों से भी होता है दूर
कोई किसी तरह से , कोई किसी तरह से
धोखा ही धोखा देता ही जा रहा है
अपनी आत्मा को भी धोखे का साथ
वो जिन्दा जीता ही जा रहा है
इस से अच्छा तो यह है कि
किसी को धोखा देने वालो,
हाथ फैला कर भीख जो मांग लो
पर किसी की भावना के साथ
चाल और धोखा न दो, यह मान लो
अजीत कुमार तलवार
मेरठ