कदमों के निचे से तेरे
कदमों के निचे से तेरे
धर्म के ख़ार हटाने थे मुझे
इस लिए कागज़ कलम की
अहमियत बताने थे तुझे
फूलों भरा होता नही
जीवन का डगर मेरे बच्चे
इसे संजीदगी से बताने थे तुझे
घने अंधेरे से निपटना हो गर
मन के दिए में चेतना का बाती
हैसले का तेल डालना ही है तुझे
जीवन में मिलेंगे हर कदम पे
आंधियां ही आँधिया तुझको
आंधियों से डट के निपटने का
हुनर हर हाल में सीखना है तुझे
…सिद्धार्थ