*”कदंब का फूल”*
“कदंब का फूल”*
यमुना तीरे कदंब के फूल ,स्वर्णिम आभा लिए सुगंध महकाये।
विशाल वृक्ष पर झूला झूले ,राधा कृष्ण गोपियाँ मंद मंद मुस्काये।
कान्हा की मधुर बाँसुरी की सुन ,राधा संग
गोपियां दौड़ी चली आये।
कदंब पुष्प की गुच्छेदार माला पहन ,कृष्ण जी को अति मन भाये।
ब्रज की गोपियाँ हंसी ठिठोली करती,
सघन वृक्ष शाखाओं पर राधा को झूला झुलाये।
कदंब के पुष्प तरु पल्लव , छाल औषधि गुण रोग भी भगाये।
डाल डाल पात पात हरीतिमा ,पुष्प गुच्छ में तितलियाँ मकरंद लेती जाये।
सावन का संदेश देने ,कदंब मकरंद सुंगधित पुष्प गुच्छ मन को हरषाये।
शशिकला व्यास✍
स्वरचित मौलिक रचना