कण कण में राम
संस्कृति है अद्भुत हमारी,
यहाँ पग पग में राम बसते हैं,
उठते बैठते जागते सोते,
हर लम्हा में राम बसते हैं
दुख हो या हो पीड़ा,
हे राम,अरे राम …..,
अरे राम राम अशुभ घड़ी,
अभिवादन में राम बसते है।
न्यारी संस्कृति जग पर भारी,
शर्म हया में हाय राम बसते है,
काम सफल होगा या असफ़ल,
दुविधा में राम भरोसे बसते है।
राम कसम खाकर गवाही देना,
राम जाने लोग राम को क्या समझते है,
कल्पना करते सदा राम राज्य की,
जानकी के राम कण कण में बसते है।
जीवन के हर पलों में राम को ही पाते हैं,
सरलमना पुरुषोत्तम राम हर जगह बसते हैं ।
राम बाण राम औषधि राम राम सत्य है,
जीवन के कालचक्र में सिर्फ राम बसते हैं।।
गरीब के राम, अमीर के भी राम,
राम नाम की माला जप कीर्तन करते हैं,
राम जी करेंगे बेडा पार सभी का ,
जगत कल्याण के हेतु जग में राम बसते है।।
डा राजमयी पोखरना सुराना