कण कण तिरंगा हो, जनगण तिरंगा हो
कण कण तिरंगा हो, जनगण तिरंगा हो
हर मन तिरंगा हो, हर तन तिरंगा हो !!
जवानो के खून की, रवानी कहती है,
किसानो के खेत की हराली कहती है,
लहराते दरख्त हो, झूमती गंगा हो
भारत माँ का आँचल, सप्तरंगा हो !
कण कण तिरंगा हो, जनगण तिरंगा हो
हर मन तिरंगा हो, हर तन तिरंगा हो !!
सत्य अहिंसा की कहानी कहती है
तीन रंग की गाथा, जुबानी कहती है,
न दीन दुखी हो कोई, न भूखा नंगा हो,
भारत माँ का हर लाल भला चंगा हो !
कण कण तिरंगा हो, जनगण तिरंगा हो
हर मन तिरंगा हो, हर तन तिरंगा हो !!
बागों में कूकती, कोयल कहती है,
माली से फूलों की, कोंपल कहती है,
मन मुटाव बैर, न मन दोरंगा हो,
भारत माँ का, स्वरुप नौरंगा हो !!
कण कण तिरंगा हो, जनगण तिरंगा हो
हर मन तिरंगा हो, हर तन तिरंगा हो !!
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डी के निवातिया