कड़वाहट
लघुकथा
शीर्षक – कड़वाहट
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सुनसान रात में राधेय तेज कदमों के साथ अपने घर की और चला जा रहा था… चाहता था कि झट से माँ के पास पहुंच जाए और उससे लिपट कर जी भर के रो ले और अपनी गलतियों का प्रायश्चित कर ले…
आज की घटना उसके बाल-मन को विचलित किए हुए थी…. होटल मालिक ने आज उसे माँ की गाली दी ,,, और हाथ भी चलाया , तब से उसका मन खिन्न हो गया… रह रह कर यही सोच रहा था कि आखिर वह घर से भाग कर आया ही क्यों? उसके माँ बाप उसे कितना प्यार करते थे, माँ ने उसे पीटा, तो वह घर से भाग गया,, . आखिर गलती तो उसकी ही थी, क्यो गया था स्कूल बंक करके पिक्चर देखने…
सामने घर नजर आ रहा था उसने अपनी मैली सी कमीज से आँसू पोंछे और कुंडी खटखटायी … दरवाजा माँ ने ही खोला मानो उसी की बाट जोह रही हो… वो माँ से लिपट गया – ” —– मुझे माफ कर दो माँ…” .
दोनों की आंखो से अश्रु धारा बह निकली जिसमे बाल-मन की सारी कड़वाहट बही जा रही थी, ..
राघव दुबे
इटावा
8439401034