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18 May 2024 · 1 min read

कठोर व कोमल

मुक्तक
~~~
राष्ट्र हित के लिए आवश्यक, हो कानून कठोर।
सर्वोपरि समझें इसको हम, जीवन में हर ओर।
करें नहीं कोई समझौता, संविधान के साथ।
सही हाथ में रहे हमेशा, सत्ता की शुभ डोर।
~~~
फूलों की कोमल पंखुड़ियां, महका करती खूब।
सबके मन को हर्षित करती, हरी भरी हो दूब।
नयनों में होते प्रतिबिंबित, मन के कोमल भाव।
और मिटा देते जीवन से, ठहरी सारी ऊब।
~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १८/०५/२०२४

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