कठिन हालात लिखे
अक्षर ने लिख दिया दुपहरी,
कैसे होठ प्रभात लिखे?
प्रेम-दिवस पर द्वेष न हो तो
चाँद चाँदनी रात लिखें ।
रोज शाम को मदिरा छलके,
जाम हथेली से पकड़े,
सुनकर शोर-शराबे जग के ,
क्रोध रहे मन को जकड़े,
सूख चुके हैं सभी अश्रुकण,
कैसे मन बरसात लिखे ।
पाँव दबी इच्छा है घायल,
पथरीले हैं कर्म हर हुए,
हाथ-निराशा कँगना पहने,
झूठे किस्से धर्म हुए,
किसे लिखें,किसको अब छोड़ें,
किंतु कठिन हालात लिखे ।
पेट पिचककर पीठ हो गया,
कहीं नहीं बीमारी है ,
बाल दार्शनिक जैसे बिखरे,
पढ़ने की लाचारी है ,
लड़े अभावों से हैं कुश्ती,
जीवन के आघात लिखे ।.