कठपुतली
रचना नंबर (19)
कठपुतली
हम सब हैं कठपुलियाँ
सबसे बड़े कलाकार के
इशारों पर नाचने वाली
किरदार को निभानेवाली
इस संसार के रंगमंच पे
क्यूँ न जी-जान लगा दें
अपने-अपने अभिनय में
सबके अपने रोल हैं तय
ख़ुद का किरदार सुधारते
किसी और का न बिगाड़े
कठपुतलियाँ सिखाती हैं
पालना विधि-विधानों को
अवमानना ही नियमों की
ला देती अर्श से फ़र्श पर
किन्तु यह ध्यान रहे सदा
सुने अन्तर्मन की पुकार
मान स्वाभिमान बना रहे
वजूद हमेशा रहे कायम
यूँ किसी ग़लत इशारे पर
बेवज़ह नाचना ठीक नहीं
डोर का बन्धन नहीं हो
डोर का एक सिरा सदा
हम भी थामे रहें हाथ में
जीये जीवन मनमाफ़िक
स्वरचित
सरला मेहता
इंदौर