कठपुतली का शहर बना
कठपुतलियों का शहर बना मेरा हिंदुस्तान
भारत तेरे टुकड़े होंगे की चली जो जुबान
राजनीतिक रोटियां सेंक लो शाहीन बाग़ में
बन्द पड़ी जो चल निकलेगी उनकी दुकान
अब कोई भारत वासी नहीं रहा इस देश में
मेरे देश में पैदा हो रहे बस हिन्दू मुसलमान
नागरिकता बिल का कर लो थोड़ा विरोध
जिसे कुत्ता नहीं जाने उसकी हुई पहचान
कहता कवि अशोक सपड़ा यह दिल्ली से
अतुल्य भारत अपना रहा सदा से ये महान
अखण्ड को अखण्ड ही रखना मेरी क़लम
क़सम तुझे मां शारदे की वरना दूँगा मैं जान
अशोक सपड़ा हमदर्द