कट गया हंसते हंसते, ये जिन्दगी का सफ़र
कट गया हंसते हंसते,ये जिंदगी का सफ़र।
मानता हूं,दोस्तो की दुआओं का ये असर।।
कोशिश की थी लोगो ने,मुझे ज़हर पिलाने की।
पर मार न सका मुझे,उनका यह तीखा ज़हर।।
लगाते इल्जाम मुझ पर,इसका झुकता न सर।
झुका है एक के आगे,जिसको झुकाते सब सर।।
कुछ दोस्त भी बन गए,मेरी जान के दुश्मन।
समझते हैं वे इस बात की मुझे नही ख़बर।।
बाल न बाका कर सका,जिसका रक्षक प्रभु होय।
दुश्मनों के साथ मिलकर,अपनो भी ढाए कहर।।
मौत तो सबको आयेगी,ये है प्रकृति का नियम।
रस्तोगी ने ढूंढ लिया,अब तो मुस्तकिल घर।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम