कटहर मटन।
कटहर मटन।
-आचार्य रामानंद मंडल।
एक जमाना मे…
सरकार! सरकार!
जिरतिया बाजल -सरकार।अपना बीस बिघा खेत पर कौमनिस्ट लाल झंडा गाड़ देलक हय।
महंत जी बजलन -अपन सिपाही कंहा हय।बुलाके जल्दी थाना पर भेजा। दरोगा जी के खबर दा।
सिपाही साइकिल से थाना पहूंच के खबर देलन।
दरोगा जी पांच पुलिस संग आ धमकल।
जीप के आवाज सुन के कौमनिस्ट सभ भाग गेल।
आबि महंतजी मुस्लिम दरोगा जी के स्वागत मे जुट गेलन।
दरोगा जी आ पांचों पुलिस भोजन कैलन।
महंतजी पुछलैन -दरोगा जी भोजन केहन लागल।
दरोगा जी बजलन -सभ चीज त ठीके रहल।परंच कटहर के तीमन त एकदम गोस्त लेखा लागल हय।
महंतजी कुछ न बजलन।जौ पुलिस टीम चल गेल त मैनेजर के बोललन -आइ से मठ मे कटहर के तीमन न बनत ।आ न कहियो बनल।
परंच आइ होटल मे कटहर मटन मिलैत हय आ बैष्णव सभ कटहर के मटन खाइत हय।
-आचार्य रामानंद मंडल सीतामढ़ी।