— कच्चे घर का दिल —
कच्चा मकान हो
दिल पहलवान हो
नमक रोटी का आनंद हो
इस से बढ़कर भला क्या चाहिए
ऊँचा मकान फीका पकवान
दिल खोखला फीकी मुस्कान
घमंड और ढोंग की जिन्दगी
ऐसे लोगों को बस यही चाहिए
इज्जत मान मर्यादा मिलेगी
प्यार से सजी परंपरा मिलेगी
बेमतलब की दुनिया मिलेगी
यही शान मिलेगी और क्या चाहिए
सकूंन भरी जिन्दगी हो
बिस्तर बेशक मखमल न हो
बेफिक्र भरी नीद और मुस्कान
कच्चे घरों में सब मिलेगा
बस यही जिन्दगी जीनी हो
भला और क्या चाहिए
अजीत कुमार तलवार
मेरठ