कच्चा मन पक्का प्यार भाग प्रथम
” क्या कर रहा है यहाँ सीढ़ियों पे, जानता है आज रश्मि ने ट्रीट देने को अड्डे पर बुलाया है, चलेगा क्या “सुमित सीढ़ियों पर बैठते हुए बोला, रंजन अब भी फर्श पर गिरे पानी को देख रहा था,
” अबे एक्सपायर हो गया क्या ” सुमित बैग मारते हुए बोला
रंजन ने चौक कर सुमित को देखा और बोला ” अबे आ गया वृंदा मैम से पिटकर ”
मुह बनाते हुए सुमित ने बैग खोलते हुए कहा ” ला साले मैथ की कॉपी दे, खुद तो आइंस्टीन पैदा हो गया, कभी कोई सवाल गलत ही नहीं होता, और हम घर पर भी पिटे और स्कूल में भी ”
रंजन ने मुस्कुराते हुए कॉपी थमाई और बोला ” ओ या आई ऍम अ कॉम्पलैन बॉय , हा हा हा”
सुमित ने फिर रंजन को गौर से देखते हुए कहा ” क्या , अभी किसके ख्यालों में था ”
रंजन हिचकिचाया ” क्या यार कुछ नहीं ”
” अबे बोल दे …’ सुमित ने पैन की नोक बन्दूक की तरह रंजन के सिर पर तान दी , पर तभी कुछ सोच कर मुस्कुराने लगा
” हाँ यार बस रजनी मैम के बारे में सोच रहा था ” रजन ने सुमित का पैन हटाते हुए कहा
” मैं अब भी कह रहा हूँ वो सिर्फ तुझे बाकि मैम की तरह बस पसंद करती है और कुछ नहीं, तू मुफ्त में सेंटी हुआ जा रहा है ” सुमित ने कॉपी पर लिखते लिखते बोला
रंजन फिर किसी दुनियां में जा चूका था
” अबे वो रजनी तुझे बच्चा समझ के प्यार करती हैं तू मरा जा रहा है और वो अंजलि फिर तेरे लिए पराठे लाई थी वो कुछ नहीं ” सुमित ने गले में हाथ डालते हुए कहा
रंजन ने चौंक कर खड़े होते हुए कहा ” तूने उसे बताया तो नहीं मैं यहाँ हूँ ”
” मैं तेरा सच्चा यार हूँ भाई बस यार पराठे खा कर बस इतना बोल दिया की तुझे पराठे अच्छे लगे ” सुमित ने शरारती मुस्कुराहट से कहा
” अबे साले खा खा कर ढोल हो गया है फिर भी …” पेट पर घूंसा मारते हुए रंजन ने सुमित को गिरा दिया
” आह उई मां आह आह ..” सुमित पेट पकड़ कर लेट गया
रंजन गंभीर होते हुए सुमित के पेट को सहला कर पूछने लगा ” सॉरी सॉरी यार ज्यादा तेज लग गया क्या ”
” अबे इतने टेस्टी पराठों के लिए मैं इससे ज्यादा दर्द झेल सकता हूँ” सुमित ने सीढ़ियों पर लेटे मुस्कुराते हुए कहा
” साले अगर अगली बार तूने मेरा नाम लेकर पराठे खाये तो तुझे लूज मोशन की दस बारह गोली खिला दूंगा ” रंजन ने सुमित के पैरों पर लात मारी और चलते चलते बोला ” आ जा रोहिणी मैम क्लास में लेट आने वालों के साथ क्या करती है याद है या नहीं ”
रंजन, एक 14 साल का होनहार लड़का था ,मगर प्यार की उलझनो में जवान हो रहा था I घर में बड़ी बहन चैरी, एम बी ए कर के दिल्ली में नौकरी कर रही थी I प्रोफ़ेसर माँ और मेनेजर बाप के बीच अब रंजन ही केंद्र बिंदु था I सुमित मध्यमवर्गीय परिवार का का इकलौता बेटा था और रंजन का इकलौता दोस्त भी ।
उनके ही क्लास की एक लड़की बड़ी सुंदर मासूम और हंसमुख अंजलि थी जो रंजन से बेइंतिहा प्यार करती थी जिसके प्यार के बारे में रंजन को छोड़कर सभी जानते थे पर रंजन को लगता था कि रजनी मैम ही उसका पहला और आखिरी प्यार है रजनी मैम बायोलॉजी की टीचर थी पर साथ ही सुमित की पड़ोसी भी इसलिए अक्सर सुमित उनके साथ उनकी स्कूटी पर आता दिखाई दे जाता था तो उसकी किस्मत से रंजन को जलन होने लगती थी कि कैसे ये रजनी मैम के साथ बैठा है और मैं तो केवल स्कूल में ही उन्हें देख सकता हु और ये तो उनके साथ घर तक जाता है ।
मैम का पड़ोसी है क्या करता मन मसोस कर रह जाता था इधर अंजलि को हर हाल में बस रंजन का साथ चाहिए होता था और रंजन के घर से बस कुछ दूर ही रहती थी इसलिए उसी के साथ बस में आती जाती थी रंजन की तरह ही अमीर घर की शहजादी थी और उसके पिता विदेश में रहते थे वो अपनी माँऔर एक छोटे भाई के साथ रहती थी ।अंजलि के परिवार को यहाँ रहते ज्यादा वक्त नही हुआ था पर अंजलि की माँ और रंजन की माँ में अच्छी दोस्ती हो गई थी क्योंकि लगभग रोज ही उनकी मुलाकात रंजन के बस स्टैंड पर हो जाती थी ।
अक्सर रंजन अपनी बाइक पर अंजलि की माँ को मार्किट के काम से ले जाता था जिसके लिए रंजन की माँ ही उसे कहती थी साथ जाने को इसलिए दोनों परिवार काफी घुलमिल चुके थे । अंजलि की माँ से भी अंजलि का रंजन के लिए प्यार कोई छुपा नही था और इस बारे में वो रंजन की माँ को भी बता चुकी थी जिससे उन्हें भी कोई एतराज नही था ।
मगर रंजन था कि हमेशा रजनी मैम के सपनो में खोया रहता था और इसी उधेड़बुन में जिंदगी बीतने लगी ।
एक दिन सुबह जब रंजन स्कूल की बस का इन्तजार कर रहा था तभी अंजलि बड़ी उदास होकर आई ।रंजन ने देखा और बोला “क्या हुआ अंजू आज इतना सन्नाटा क्यों है”
अंजलि ने चुप्पी तोड़ने नाम ही नही लिया और रंजन के पास से हटकर खड़ी हो गई ।
रंजन को लगा आज ये इतनी नाराज किस बात पर है जो मुझसे बात नही कर रही पर उसने कुछ पूछने को कदम बढ़ाए तब तक बस आ गई और दोनों उसमे बैठ गए । अंजलि वैसे ही चुप्पी साधे रही स्कूल पहुच कर भी ऐसे ही दिन जा रहा था फिर सुमित ने भी उससे पूछने की कोशिश की पर उसने कुछ बताया नही और इसी तरह स्कूल से घर जाने के बाद जब अंजलि उससे बिना बोले घर चली गई तो उसे अचरज हुआ कि पहले तो कभी इतना चुप इसको नही देखा आज बात क्या है
रंजन घर पहुंचा फ्रिज से निकाल कर खाना गर्म कर खाया और लेट गया तब तक रंजन की माँ भी आ गई
और रंजन से पूछा ” खाना खा लिया ”
रंजन ने कहा “हा”
रंजन की माँ ने कॉफ़ी बनाई और एक कप रंजन को देती हुई बोली क्या हुआ “आज मेरा बेटा किस सोच में डूबा है”
रंजन बोला”कुछ नही मा आज अंजलि सुबह से उदास थी कुछ बताया नही ऐसा तो वो तब भी नही करती जब वो खुद बीमार हो , कुछ बात तो जरूर है”
रंजन की माँ मुस्कुराते हुए “अरे बेटू को दोस्त की इतनी फिक्र , चल तू कॉफ़ी पी मैं फोन करके अंजलि के घर पता करती हूं”
रंजन की माँ फ़ोन पर कुछ देर बात करती है फिर वो खुद भी परेशान हो जाती है ।फिर कुछ सोचते हुए रंजन से कहती है ” तू परेशान मत हो अभी मैंने अंजलि को बुलाया है उससे कुछ बात पता कर बताती हु”
थोड़ी देर में अंजलि आ जाती है और माँ के साथ किचिन में चुपचाप खड़ी होकर कुछ काम मे हाथ बटाने लगती तभी रंजन की माँ उसके सिर पर हाथ फेर कर बड़े प्यार से पूछती है ” आज मेरी अंजू इतनी चुप है कि उसके होने का तो पता ही नही चल रहा ”
इतना कहने की देर थी कि जैसे अंजू का दिल का गुबार आंसुओ के साथ बहने लगा और उसे रंजन की माँ ने गले से लगा लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगी।
अंजू तो आज जैसे भरी पड़ी थी सिसकियों के साथ रोते रोते उसने रंजन की माँ को और कस के पकड़ लिया और उनका पूरा कंधा आंसुओ से भीगा दिया ।कुछ देर बाद जब आंसू कम हुए तब रंजन की माँ उसे रसोई से बाहर लेकर डाइनिंग टेबल पर बिठा कर उसे पानी दिया और फिर उसके आंसू पोछ कर उससे फिर से बड़े प्यार से पूछा “अंजू कुछ बताओ भी तो अब कितना रोओगी देखो अब तुम नही चुपी तो मैं भी रोने लगूंगी ”
इतना सुनते ही एक नजर रंजन की माँ पर डाल अपने आंसू पोंछकर बोली ” कल हमारे घर दादी आई थी जब मैं स्कूल से घर पहुंची तो मम्मी से बोली अब बहुत हुआ इसकी पढ़ाई बंद कराकर इसके हाथ पीले करो इसे क्या कलेट्टर बनाओगी इस पर मम्मी ने कहा अभी ये छोटी है
इंटर तो पढ़ लेने देते है फिर सोचेंगे तो दादी बोली जैसी मा वैसी बेटी इसके छोटे छोटे कपड़ें नही दिख रहे पूरी घोड़ी हो गई है तुझे शहर में क्या भेजा बेशर्म हो गए है राम राम राम इस पर मम्मी बोली ये तो स्कूल ड्रेस है सभी लडकिया पहनती है इस पर दादी ने कहा देख मैं तो जा रही हु पर आने दे मेरे बेटे को फिर सबसे पहले इस लड़की की शादी ही कराउंगी तभी चैन से बैठूंगी इतना कहकर दादी चाचा के साथ चली गई पर मुझे डर लग रहा है कि मेरी पढ़ाई का क्या होगा ”
रंजन की माँ ने अंजलि के हाथ को हाथ मे लेकर बोली “अरे बेटा इतनी सी बात मैं और तेरी मम्मी तेरे लिए इस पूरी दुनिया से लड़ जाएंगे तेरी दादी क्या चीज है तू बस पढ़ाई पर ध्यान दे”
इतना कहने भर से अंजलि के चेहरे पर मुस्कान पूरे दिन में पहली बार लौटी ये देखकर रंजन के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई जो उन दोनों की बातों को अपने कमरे के दरवाजे की ओट से सुन रहा था और अपने कमरे से डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ते हुए बोला “मम्मी किसी के शादी में गए कई साल गुजर गए तो मम्मी लड्डू खाने कब चलना है ”
इतना कहना था कि अंजलि उठी और रंजन आगे आगे अपने कमरे की तरफ बापस भागने लगा अंजलि पीछे पीछे बोल रही थी “रुक आज तेरा मुह ही लड्डू जैसा कर देती हूं”
इतना कहते कहते रंजन बेड पर पहुंचकर पलटा तब तक अंजलि मैट में उलझकर रंजन के साथ बेड पर गिर गई । अंजलि अभी भी किसी ख्वाब की तरह एक टक रंजन की आंखों में देख रही थी और रंजन भी आज पहली बार उसे इतने नजदीक से देख रहा था अंजलि के शरीर की खुशबू रंजन की सांसो में घुल कर उसे मदहोश कर रही थी पहली बार उसे उस छुअन का एहसास अजीब अजीब अहसास करा रहा था रंजन ने अंजलि के गुलाबी चेहरे को कई बार देखा था पर आज कुछ अलग था लग रहा था मानो गुलाबी गुलाब पर आंखे नाक और होंठ लगा दिए गए हो अंजलि का मासूम चेहरा रंजन को किसी और दुनिया मे ले गया ,रंजन और अंजलि के दिलों का एहसास एक हो चुका था पर तभी उसे माँ की आवाज बाहर से आई “क्या हुआ रंजन अंजलि गिर गई क्या ”
रंजन ने अंजलि को कंधे से पकड़ कर उठाया तो अंजलि की तंद्रा टूटी और वो दोनों हाथ से अपने चेहरे को शर्म से ढक कर वही बेड पर बैठ गई ।रंजन ने मा को जवाब दिया ” नही मा बस गिरते गिरते बच गई”
माँ ने कहा ” ठीक है तुम लोग बात करो मैं नहाकर आती हु ”
रंजन ने अंजलि के हाथो को पकड़ कर हटाया तो अंजलि के शर्म से सेब जैसे लाल गाल दिखे तो रंजन की मुस्कुराहट और बढ़ गई अब एक नजर अंजलि ने रंजन को देखकर अपनी आंखें झुका दी ।
रंजन बोला”आज तुझे क्या हुआ ये दुल्हन की तरह शर्मा क्यों रही है बाहर तो अपनी शादी की धड़ल्ले से बातें कर रही थी”
इतना कहना था कि शर्म का गुलाबी रंग एक झटके में उतर गयाऔर अंजलि के आंसू एक बार फिर बहने लगे रंजन को पछतावा होने लगा कि अभी तो जैसे तैसे चुप हुई इसे फिर रुला दिया तो बोला” सॉरी सॉरी मुझे माफ़ कर दे मेरे कहने का वो मतलब नही था प्लीज् अब रो मत ”
अंजलि फिर रोये जा रही थी तो रंजन ने उसके पैरों के पास बैठ कर उसके हाथों को हाथो में ले लिया और बोला ” देख बड़ी मुश्किल से तेरे चेहरे की हंसी लौटी थी मुझे माफ़ कर दे अब दोबारा ऐसा नही करूंगा ”
अंजलि रोते रोते बोली” तो ऐसी बात करता क्यों है ”
रंजन ने दोनों कान पकड़े हुए कहा” अब बस ले कान पकड़ कर माफी मांग रहा हु अब तो माफ कर दे”
अंजलि ने अपने आंसू पोछते हुए कहा” ठीक है इस बार माफ कर दिया पर दोबारा बोला तो समझ लेना”
रंजन मुस्कुराते हुए बोला ” ये हुई न बात पर अब मुझे बस एक दुख है एक शादी के खाने का नुकसान हो गया” और खिलखिलाने लगा
इतना सुनकर रंजन के सीने पर मारते हुए रंजन के गले लग गई रंजन भी उसके सिर पर हाथ फेरने लगा ।
रंजन और अंजलि दोनों ही बस ऐसे ही गले लगे थे दोनों की आंखे बंद हो चुकी थी सांसे दोनों जैसे एक साथ ले रहे थे जैसे एक जिस्म हो चुके हो और उनका अलग होने को दिल ही नही कर रहा था तभी बाहर से मा की आवाज आई “रंजन अंजलि चली गई क्या”
रंजन के बोलने से पहले अंजलि ने रंजन से अलग होते हुए कहा “नही आंटी अभी यही हु ”
ये कहते कहते एक बार फिर रंजन को देखकर अंजलि मुस्कुराई और रसोई की तरफ चली गई और रंजन उसके जाने के बाद अपने बेड में लेट कर अंजलि के बारे में सोचने लगा ।
ऐसे ही लेटे लेटे उसकी नींद लग गई और फिर हड़बड़ाकर तब टूटी जब उसके माँ के चीखने की आवाज आई …
क्रमशः