कक्षा – संसद
रूमा मैडम की क्लास में,
एक प्रश्न पर विचार है l
पहली पंक्ति का “विनीत”,
बड़ा ही होशियार है l
बड़ी ही उम्दा तर्कों से,
वो प्रश्न का उत्तर देता है l
पिछली पंक्ति में मैं बोला,
देख रहे हो बड़ा तेज बनता है l
अठखेलियों के बीच ही,
दो आंखें मुझसे चार हुई l
इंग्लिश के कई शब्दों की,
अकस्मात् ही बौछार हुई l
मैडम जी ने मेरे मुंह पर,
एक प्रश्न उठा, दे मारा l
हकलाता, मिमियाता,खड़ा हुआ मैं,
अदना सा बेचारा l
साख बचाने को मैं अपनी,
ऊट पटांग, कुछ भी बकने लगा l
मेरी मिटिया पलीद होती रही,
और पूरा क्लास हंसने लगा l
मैडम मुस्काई, मुझसे बोली,
“लोकेश” थिंक अबाउट योर फ्यूचर l
अन्यथा एक दिन,
दुनिया चलेगी जहाज में,
एंड यू विल राइड ए स्कूटर l
इसी थिंकिंग में लॉस्ट था,
कि एक शोर ने जगा दिया l
नेताओं की चिल्ल पों ने,
संसद को हिला दिया l
किसी बात पर शायद उनमे,
जबरदस्त एक तकरार थी l
उलझन तो सुलझ भी जाती,
पर ईगो की दीवार थी l
माइक चले, कुर्सियां चली,
कोई फोड़ कपार, घर गया l
मेरी नज़रें ढूंढती रही,
यहाँ तो सभी “लोकेश” हैं l
जो तर्कसंगत बात करे,
अपना वो “विनीत” किधर गया l