कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव “अज़ल”
तुम्हारे साथ की होली अभी खेला नही हूँ मैं,
तुम्हारी खातिर अब अजनबी चेहरा नहीं हूं मैं।
न बिखरे आस मेरी अब चले आओ प्रिय हम तक,
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं।।
एक तुम्हारे साथ खेलने की तमन्ना लेकर बैठा हूँ,
बहुत बेचैन है तबियत अभी तक खामोश बैठा हूँ।
अपनी ख्वाहिशों का बादल अधुरा नही हूँ मैं,
तुम्हारे साथ की होली अभी खेला नही हूँ मैं।।
है सूखा समंदर लिए पीर कुछ दिल के अंदर,
तुम्हारी आज़ादी पर कोई पहरा नहीं हूं मैं।
तुम्हारी खातिर अब अजनबी चेहरा नहीं हूं मैं,
तुम्हारे साथ की होली अभी खेला नही हूँ मैं।।
चाहत दिल के अंदर है प्रेम अधूरा नहीं हूं मैं
अज़ल है प्रेम का सागर गहरा हुआ कितना,
तुम्हारे साथ की होली अभी खेला नही हूँ मैं,
तुम्हारी खातिर अब अजनबी चेहरा नहीं हूं मैं।।
लवकुश यादव “अज़ल”
अमेठी, उत्तर प्रदेश