कई मौसमों के बाद मैं ,
कई मौसमों के बाद मैं ,
अपने लिबास में आया |
लड़खड़ाते सुर मैं था ,
अब साज में आया |
बड़ी मुश्किल से ही,
जीने का हुनर आया ,
बड़ी मुश्किल से ही मै ,
जीने के अंदाज में आया
वीरान सी आंखों में ,
जिनमें मैं नशे में था |
कई पतझड़ बाद में
नये आगास में आया |
कई मौसमों के बाद मैं ,
अपने लिबास में आया |
✍दीपक सरल