कंचनजंगा
वो है मेरे सपनों की कंचनजंगा
जब जब देखूँ मन हो जाए सतरंगा
मेरे सर चढ़कर वो करे ताण्डव यूँ
जैसे शिव के शीश विराजित हों गंगा
©️ शैलेन्द्र ‘असीम’
वो है मेरे सपनों की कंचनजंगा
जब जब देखूँ मन हो जाए सतरंगा
मेरे सर चढ़कर वो करे ताण्डव यूँ
जैसे शिव के शीश विराजित हों गंगा
©️ शैलेन्द्र ‘असीम’