कँहरवा
सीत लहरी चलै सीत लहरी
काँपै हाँड़ अउ बदनवा।। सीत लहरी
नाव धरे हैं नवा साल कै भैया नौकी पीढ़ी
कौनी ओर से माह जनवरी उन्नति कै है सीढ़ी
यहिमा कुच्छुय अटतै नाही कपड़ा और भोजनवा
निकसै ठंढी से परनवा।।
सीत लहरी।।
ना तौ कोयल अमराई मा छेड़े तान सुरीली
भौंरा मोर पपीहा हैं न तितली रंग रँगीली
भिनभिन कूकू पिउ पिउ वाली नाही सुनात है तनवा
चुप्पी साधे है सुगनवा।। सीत लहरी।।
प्रीतम लकड़ी कण्डा करसी नाही कुछू देखात है
खेत रखावै लिहे रजाई भाई मंगरुवा जात है
बैठे हैं गुरगुट्टी मारे घुरहे काका मचनवा
संड़वा चरि न लेय सिवनवा।। सीत लहरी
प्रीतम श्रावस्तवी