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6 Jun 2018 · 1 min read

….और मैं हूँ

फ़क़त इक रास्ता है और मैं हूँ
सफर दिन रात का है और मैं हूँ

है मीलों दूर तक सहरा ही सहरा
हवा का दबदबा है और मैं हूँ

मसलसल आज़माइश पर हैं दोनों
मुकद्दर ये मेरा है और मैं हूँ

ये जीवन है समंदर तश्नगी का
सफ़ीना रेत का है और मैं हूँ

दरारें यूं पड़ी”मासूम” दिल में
कि टूटा आईना है और मैं हूँ

मोनिका” मासूम”
मुरादाबाद

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