और भी मस्ताना।
मौसम था बड़ा सुहाना,
दिल भी था आशियाना।
सूझी हमको कुछ शरारत,
मिजाज हुआ आशिकाना।
पतिदेव से कर लें आँखे चार,
फिर साथ में घंटों बतियाना।
सोच ही रहे थे यह सब हम,
प्रियतम का फिर यूँ फरमाना।
प्रिय,मौसम आज है हसीं बड़ा,
हमारी फरमाइश को न ठुकराना।
अदरक वाली चाय बना दो,
साथ में जरा पकोड़े भी बनाना।
तो मौसम का मजा हो जाये
और भी मस्ताना,और भी मस्ताना।।
By:Dr Swati Gupta