और कितना सताएगी
और कितना सताएगी
मुद्दतों से बिछुङे ,वो भी सपना
बाद मुद्दत के मिले वो भी सपना
ज़िंदगी तू कितने रंग दिखाएगी
और कितना और कितना सताएगी
आँसुओ की स्याही से लिखे
अपने अपने दायरों मे घिरे
तू बता न कितने सवाल उठाएगी
और कितना और कितना सताएगी
खोना पाना खेल कितने
आसमां में तारे जितने
जिंदगी तू कितना रुलाएगी
और कितना और कितना सताएगी
बढा के प्यास छोङ दिया
नदी के पास से रास्ता मोङ दिया
इस भंवर मे कितना घुमाएगी
और कितना और कितना सताएगी
नज़रो में खुश्क सैलाब कभी समंदर
बेकसी बेचैनियाँ बाहर अंदर
क्या आखिरी सांस तक तङपाएगी
और कितना और कितना सताएगी