Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 May 2021 · 1 min read

और कितना बोझ उठायेगी गंगा ?( विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष)

अरे इंसान ! कितना बोझ उठायेगी ,
यह हमारी गंगा !
अब तक तुम्हारे पापों का बोझ ,
उठाती आ रही है ।
तुम्हारे पाप तो फिर भी कम न हुए ,
अपितु और बढ़ गए ।
तुम्हारे पाप तो अभी आसमान छूने लगे हैं।
और कितना पाप धोएगी हमारी गंगा ?
तुम्हारे पाप धोते धोते मैली हो गई बेचारी ।
स्वर्ग से उतरी वो देवी ,निर्मल ,सुन्दर ,
पवित्र थी प्यारी थी जितनी ।
दशा उसकी बिगड़ गई उतनी ।
और अब तो हद हो गई !!
तुम्हारी लाशें भी ढोए हमारी पतित पावनी गंगा!!
तुम तो इतना गिर चुके हो ।
तुम्हारा पतन हो चुका है ।
तुम्हारा बोझ तो बेचारी धरती भी उठा नही
पा रही है ।
और अब बेचारी गंगा !!
यह तुम्हारे पतन का भागीदार क्यों बन रही है ?
हे ईश्वर ! इस मानव को कुछ तो समझ दो ।
बंद करे यह प्रदूषण फैलाना ।
बंद करे गंगा में लाशें फेंकना ।
यह मनुष्य का मनुष्य के प्रति अपमान और तिरस्कार
ही नहीं ।
हमारी पृथ्वी माता और गंगा मां के प्रति भी
अपमान और तिरस्कार है।
यह हमारी पूजनीय और श्रद्धेय माताएं कितना
बर्दाश्त करेंगी ? और कब तक ?
उनके आंसू किसी को देख नहीं रहे ,
उनके दर्द से म्लान हुए मुख भी किसी को
दिख नहीं रहे ।
उनकी कराह भी कोई सुन नहीं ,
रहा ।
तुम ही सुन लो ना !
हे ईश्वर ! इनपर कुछ दया करो मां।

Language: Hindi
2 Likes · 5 Comments · 370 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
You may also like:
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
Sandeep Kumar
शातिर हवा के ठिकाने बहुत!
शातिर हवा के ठिकाने बहुत!
Bodhisatva kastooriya
मतदान करो और देश गढ़ों!
मतदान करो और देश गढ़ों!
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
क़िताबों से मुहब्बत कर तुझे ज़न्नत दिखा देंगी
क़िताबों से मुहब्बत कर तुझे ज़न्नत दिखा देंगी
आर.एस. 'प्रीतम'
यारा  तुम  बिन गुजारा नही
यारा तुम बिन गुजारा नही
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दुनियां कहे , कहे कहने दो !
दुनियां कहे , कहे कहने दो !
Ramswaroop Dinkar
Hajipur
Hajipur
Hajipur
*लव इज लाईफ*
*लव इज लाईफ*
Dushyant Kumar
*बाद मरने के शरीर, तुरंत मिट्टी हो गया (मुक्तक)*
*बाद मरने के शरीर, तुरंत मिट्टी हो गया (मुक्तक)*
Ravi Prakash
किसी का खौफ नहीं, मन में..
किसी का खौफ नहीं, मन में..
अरशद रसूल बदायूंनी
मनुष्य को
मनुष्य को
ओंकार मिश्र
अब तो इस वुज़ूद से नफ़रत होने लगी मुझे।
अब तो इस वुज़ूद से नफ़रत होने लगी मुझे।
Phool gufran
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
मेरे हमसफ़र ...
मेरे हमसफ़र ...
हिमांशु Kulshrestha
'एक कप चाय' की कीमत
'एक कप चाय' की कीमत
Karishma Shah
"सच्चाई की ओर"
Dr. Kishan tandon kranti
मैं अगर आग में चूल्हे की यूँ जल सकती हूँ
मैं अगर आग में चूल्हे की यूँ जल सकती हूँ
Shweta Soni
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*कोई किसी को न तो सुख देने वाला है और न ही दुःख देने वाला है
*कोई किसी को न तो सुख देने वाला है और न ही दुःख देने वाला है
Shashi kala vyas
कागज़ ए जिंदगी
कागज़ ए जिंदगी
Neeraj Agarwal
जिन्हें बुज़ुर्गों की बात
जिन्हें बुज़ुर्गों की बात
*Author प्रणय प्रभात*
यह 🤦😥😭दुःखी संसार🌐🌏🌎🗺️
यह 🤦😥😭दुःखी संसार🌐🌏🌎🗺️
डॉ० रोहित कौशिक
आयी थी खुशियाँ, जिस दरवाजे से होकर, हाँ बैठी हूँ उसी दहलीज़ पर, रुसवा अपनों से मैं होकर।
आयी थी खुशियाँ, जिस दरवाजे से होकर, हाँ बैठी हूँ उसी दहलीज़ पर, रुसवा अपनों से मैं होकर।
Manisha Manjari
किसी की लाचारी पर,
किसी की लाचारी पर,
Dr. Man Mohan Krishna
దేవత స్వరూపం గో మాత
దేవత స్వరూపం గో మాత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
Manoj Mahato
*कुमुद की अमृत ध्वनि- सावन के झूलें*
*कुमुद की अमृत ध्वनि- सावन के झूलें*
रेखा कापसे
बिछड़कर मुझे
बिछड़कर मुझे
Dr fauzia Naseem shad
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
SATPAL CHAUHAN
आंखो ने क्या नहीं देखा ...🙏
आंखो ने क्या नहीं देखा ...🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...