औरों की खुशी के लिए ।
कुछ काम ऐसे भी करने चाहिए,
औरों की खुशी के लिए,
अपने स्वार्थ को दरकिनार कर के,
खुद के दुखों को तज कर ।
कभी कभी जीवन जी लेना चाहिए,
औरों की खुशी के लिए,
संघर्षो को अपने छुपा कर,
समस्याओं से दूरी बना कर।
जानबूझ कर या अंजान बनके,
औरों की खुशी के लिए,
यूँ ही जरूरत मंदो को सहयोग कर के,
थोड़ी-सी अपनी जरूरत कम कर के।
किसी मौके मे दावत दे दिया करो,
औरों की खुशी ले लिए,
भूखों का भी पेट भरे निवाला पा कर,
अपनी थाली के बर्बाद होते भोजन को बचा कर ।
रास्ते चलते मुलाक़ात कर लिया करो,
औरों की खुशी के लिए,
अपने को उनके रास्तो की ओर मोड़ कर,
कटु शब्दों को कम कर दो मीठे शब्द जोड़ कर।
बिखरे हुए रिश्ते समेट लेना चाहिए,
औरों की खुशी के लिए,
बुरी लगे जो बात रोक कर,
माफी माँग ले प्रेम से थोड़ा झुक कर।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।