औरत
हर रिश्ते की पहचान है औरत।
ईश्वर की एक वरदान है औरत।
दिल से निकले जो अल्फ़ाज़।
उस को देती ज़ुबान है औरत।
हव्वा बनी आदम के लिये जो।
प्यार का वो बलिदान है औरत।
ज़िन्दगी जिस के बिन हो अधूरी।
हर मर्द का वो अरमान है औरत।
जो अपनी रौशनी से कर दे रौशन।
हर घर की वो रौशनदान है औरत।
जिस के किरदार से हो सर ऊँचा।
हर वाल्दैन की वो शान है औरत।
माँ बन जो ममता बरसाये हर दम।
बच्चों में बसती वो जान है औरत।
चाहे कोई कितनी भी ढा ले सितम।
हर दुख दर्द से अनजान है औरत।
क़ुदरत ने क्या खूब बनाया है इसे।
इस जमीन की आसमान है औरत।