औरत
औरत
अपनी देह की चोटों से
उबर जाती है,
और फिर से
घर के कामों में
रम जाती है,
लोग समझते हैं
वह कायर होती है
नहीं,,
वो मजबूर होती है
अपने बच्चों का पेट
पालने के लिए
अपने पति की
बंधुआ मजदूर होती है
औरत
अपनी देह की चोटों से
उबर जाती है,
और फिर से
घर के कामों में
रम जाती है,
लोग समझते हैं
वह कायर होती है
नहीं,,
वो मजबूर होती है
अपने बच्चों का पेट
पालने के लिए
अपने पति की
बंधुआ मजदूर होती है