औरत
वो महिला (मंजू)मेरे स्कूल के ठीक सामने रहती है।एकदम फिट रहती है ।मुझे लगा कि वो गांव की बेटी है क्योंकि मैंने उसे सर पे कभी पल्लू रखते नहीं देखा कड़ाके की ठंड में भी वह स्वेटर नहीं पहनती साड़ी का पतला पल्लू बनाकर सेफ्टी पिन लगाती है। चचेरे देवर को फंसा रखा है।उसकी सारी कमाई ऐंठ लेती है रसोईया से पता चला कि वो बहू है। उसके चाल चलन ठीक नहीं लगते मुझे ।
लाक डाउन में बाहर दिसम्बर माह में मैं आग सेक रही थी रसोइया मेरे पास बैठी हुई थी ।वो महिला मुझे नहीं दिखी मैंने उसके बारे में रसोइया से पूछा।
रसोईया ने बताया कि वो कहीं गई है और फिर उसने बताना शुरू किया।
आज से लगभग 20-25 साल पहले मंजू शादी के बाद विदा होकर ससुराल जा रही थी कि रास्ते में उसका प्रेमी आ गया और मंजू को अपने साथ ले जाने की ज़बरदस्ती करने लगा। ये देख मंजू का पति गुस्से से आग बबूला हो गया और उसके प्रेमी से मारपीट करने लगा मारपीट करने के दौरान उसके प्रेमी की मौत हो गई। बात पुलिस तक गई और मंजू के पति को 25 साल की जेल हो गयी । एक दो साल बाद मंजू की शादी मेरे स्कूल के सामने वाले घर में हो गई थी।
आज पता चला था कि उसका पहला पति (रमेश )जेल से छूट कर आया है। उसने पूरी जवानी इस व्यभिचारी महिला के लिए जेल में काट दिया। उसके माता पिता बेटे के गम में दुनिया से चल बसे।घर विरान हो गया था। अब वो अपने बहन के घर रह रहा है।
मंजू की चालाकी देखिए वो रमेश से मिलने गई और कहा कि वो अपनी जमीन मेरे नाम कर दें। जब यह बात रमेश की बहन को पता चला तो वह लाठी लेकर दौड़ी उसके पीछे फिर मंजू वहां से भाग खड़ी हुई।
ये सब सुनकर मेरा मन उदास हो गया। मौसम में गलन और भी बढ़ गया था आग पर भी जैसे बर्फ पड़ गये थे । घड़ी ने तीन बजाए हम सब घर आने की तैयारी करने लगे।
नूर फातिमा खातून” नूरी”( शिक्षिका)
जिला कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक स्वरचित
(सच्ची कहानी)