पढ़ाई कैरियर और शादी
आजकल समाज में बच्चों पर पढ़ाई और उनके भविष्य को संवारने में सभी इतने व्यस्त हैं कि हमारा समय कब कितना और कैसे निकल गया पता ही नहीं चलता है। एक समय था जब माता पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को पता ही नहीं चलता था उनके छै आठ या दस बारह बच्चे भी कैसे बड़े हो जाते थे और अपनी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ जाते थे। माता पिता और परिवार के सदस्यों को यदि चिंता होती थी तो बस बच्चों की शादी की इधर बेटा या बेटी ने बीस साल पूरे किए नहीं और उधर घर के बुजुर्गों ने तिकतिकाना शुरू कर दिया कि इसे घर में बिठा कर रकखोगे क्या जल्दी से इसकी शादी करो ताकि ये भी अपने काम धंधे में लगे या अपना घर बसाये और देखते ही देखते पच्चीस साल की उम्र तक पहुंचते पहुंचते घर के सभी लड़के और लड़कियों की शादियां भी हो जाती थी और वो माता पिता भी बन जाते थे।
असली मुद्दे पर आने से पहले मैं आपको बताना चाहता हूं कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में चार अवस्थाएं होती हैं पहली बाल्या अवस्था दूसरी किशोरा अवस्था तीसरी युवा अवस्था और चौथी प्रोढ़ा अवस्था और इन सभी अवस्थाओं का अपना अपना अलग महत्व है लेकिन जैसा कि आप सभी जानते हैं कि युवा अवस्था का विशेष महत्व बताया जाता है क्योंकि इस अवस्था में ही व्यक्ति ने अपने जीवन के सर्वोत्तम सुखों को भोगा है जैसे शादी बच्चे प्रशंसा मान और सम्मान आदि और व्यक्ति को अपनी कुल आयु का आधा हिस्सा या आधे से भी अधिक हिस्सा इस युवा अवस्था में ही बीतता है।
अब मैं आता हूं अपने मुख्य बिंदु पर और वह है आज के बालक और बालिकाओं की शादियाँ,आजकल लड़के और लड़कियों के लिए अपनी शादी के बारे में सोचने का तो समय ही नहीं है और यदि माता पिता उनकी शादी के बारे में सोचना भी चाहते हैं तो उनको पढ़ाई पूरी करने या कैरियर के बन जाने के बाद ही इस बारे में सोचना कहकर उन्हें रोक देते है।ये तो हम जानते ही है कि हमारी रिश्तेदारी हो अड़ोस पड़ोस हो या समाज का कोई भी वर्ग हो सबके घरों में तीस साल के आस पास के युवक और युवतियां अपने कैरियर बनाने के प्रयास में संलग्न मिलेंगे। ये बच्चे तीन साल की उम्र से ही स्कूल बैग अपने कन्धे पर उठाना शुरू कर देते हैं और अपनी पढ़ाई पूरी करते करते कब इन युवक युवतियों उम्र तीस पार कर जाती है इन्हें पता ही नहीं चलता फिर शुरू होती हैं कैरियर को बनाने की कठिनाइयां परिणाम स्वरूप परिवारों में बच्चे तो घटते जा रहे हैं और तनाव बढ़ते जा रहे हैं।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी