औरत का जीवन
औरत का जीवन
सिर्फ उसका जीवन नहीं होता
परिवार के साथ साथ जीती है
वह समाज के लिए भी ।
संभाले रखती है
वह देश की सांस्कृतिक विरासत।
बन जाती हैं पैमाना
संकीर्ण या आधुनिक समाज का।
*** धीरजा शर्मा***
औरत का जीवन
सिर्फ उसका जीवन नहीं होता
परिवार के साथ साथ जीती है
वह समाज के लिए भी ।
संभाले रखती है
वह देश की सांस्कृतिक विरासत।
बन जाती हैं पैमाना
संकीर्ण या आधुनिक समाज का।
*** धीरजा शर्मा***