औरत।
औरत…हाँ औरत हर घर का उजाला
होती है।
वह भगवान के बनाये…
सभी रिश्तों में सबसे आला होती है।।
औरत…हाँ औरत हर घर का उजाला
होती है।
पहले रिश्ते की…
अनुभूति भी माँ के रूप में औरत होती है।
यह औरत ही है…
जो माँ बनकर तेरा परिचय सर्वप्रथम दुनियाँ से कराती है।।
कभी___
बहन बनकर भाई हमे बनाती है—
दुनियादारी___
औरत ही हमें सिखाती है—
औरतों का ना करो तुम अपमान।
औरते तो होती है जग में पतियों का अभिमान।।
स्मृति में तेरे होगी…
वह माँ के सीने की गर्मी, उसकी मीठी मीठी लोरी।
बिन औरत के होती ना किसी के जीवन की दुनिया पूरी।
कभी बनकर सावित्री पति को जीवन दान दिलाती है।
गर आ जाये काली रूप में तो औरत ही
मिटाती है।।
औरत के मन की गहराई स्वयं ईश्वर भी ना जानें।
औरत के प्रेम को प्रत्येक मनुष्य पाना चाहें।।
औरत जग में अपने पति को परमेश्वर मानें…
उसके संग वो स्त्रीत्व के हर गुण को जीवन भर निभाये…
लालन-पालन करने में…
दुनियाँ इनको लड़को के पीछे रखती है।
प्रत्येक वस्तु को पानें में…
तय इनकी एक सीमा होती है।।
अपना घर बार छोड़कर यह ससुराल को हृदय से अपनाती है।
यह औरत ही है जो अर्धांगिनी बनकर पति को पृथ्वी पर परमेश्वर बनाती है।।
होता ना उनका कोई वंश…
वह तो केवल तेरा वंश बढ़ाती है।
अपनी भक्ति से वह…
ईश्वर को भी दुनियाँ में बुलाती है।।
ईश्वर का ही दूजा रूप…
औरतों में होता है यह माँ का रूप।
अपने मातृत्व के आंचल से…
पड़ने देती ना तुझ पर वह सूर्य की कड़ी धूप।।
औरत के आनें से निखरता है मनुष्य का हर रूप।
इसलिए कभी कोई मनुष्य जीवन भर औरत को ना पाता है भूल।।
क्या कहना…
औरत की जीवन पर्यंत सहने की शक्ति का।
भगवन को प्रिय होता है…
उसका हर क्षण ही भक्ति का।।
आओ इस नए वर्ष में कुछ संकल्प उठाते है।
औरत को इज्ज़त का सबसे सम्मान दिलाते है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ