औपचारिक सम्बन्ध
प्रेम का दिखावा, अपनत्व में छलावा करके,
झूठी शान का ढिंढोरा पीट मुस्कुराते हैं।
प्रेम और उमंग का है, पर्व सबके संग का है,
एक दूसरे से बढ़के जश्न सब मनाते हैं।
भावना बदल गई है, नेह डोर जल गई है,
तू है मेरा अपना अब ये बोलकर बताते हैं।
अब गगन से रंग बरसे, मग़र प्रेम को वो तरसे,
दिल मिला कभी ना, ऐसे गले से लगाते हैं।